
एैसी ही कहानी है देवरी फाटक की रहने वाली गीता नामदेव की। क्योंकि अब गीता सिलाई के कार्य में अपने पिता का सहयोग करते हुये उनका व्यवसाय आगे बढ़ा रही है। इतना ही नहीं, गीता ने अपने पिता के व्यवसाय को नया स्वरुप भी दिया है।
अपने पिता को उनके व्यवसाय में सहयोग देने के लायक बनाया है ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान कटनी ने। जिसके माध्यम से गीता ने महिला वस्त्र सिलाई का प्रशिक्षण निःशुल्क प्राप्त किया। गीता के पिता पुरुषों के कपड़े पहले से सिलते थे। जिसके बाद अब महिलाओं के वस्त्र गीता ने अपने पिता की दुकान में सिलने प्रारंभ कर दिये हैं। इससे उनकी दुकान में पुरुष और महिलाओं, दोनों के परिधान अब सिले जाते हैं। गीता बताती हैं कि इससे अब उन्हें दुकान से अच्छी आमदनी हो रही है। साथ ही वह अपने पिता के व्यवसाय में उनका सहयोग कर पा रही है। इसलिये वह बहुत खुश है।
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