सीएमएचओ ऑफिस के सभागार में आयोजित बैठक में दो-टूक लहजे में कलेक्टर ने कहा कि आप स्वतंत्र हैं काम करने के लिये या नौकरी छोड़ने के लिये। निर्णय आपका है। हमारा उद्देश्य सिर्फ जिला चिकित्सालय की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करना है। ताकि जिले के दूर-दराज के गांवों से आने वाले ग्रामीणों को भी सुगमता से बेहतर उपचार मिल सके। जिला अस्पताल के सभी स्टाफ को संवेदनशील बनने की समझाईश कलेक्टर ने दी। उन्होने कहा कि कम्युनिकेशन गैप बिलकुल ना रखें। कुछ केस स्टडी के विषय में बताते हुये कलेक्टर ने कहा कि डॉक्टर्स व स्टाफ को मरीज और उसके परिजनों से कम्युनिकेशन गैप नहीं रखना चाहिये। जो स्थिति हो, उसे बताना चाहिये।
बैठक में उन्होने कहा कि जिला चिकित्सालय की व्यवस्थायें बेहतर हों, इसके लिये नवनियुक्त सिविल सर्जन जुट जायें। उन्होने कहा कि जिला चिकित्सालय में पदस्थ शासकीय व टेम्परेरी स्टाफ तक की नेमप्लेट बनवायें। जिनमें उनकी पोस्ट लिखी हो। प्रत्येक जिला चिकित्सालय के एम्प्लॉई उस नेमप्लेट को ऑफिस ऑवर्स में लगाकर रखें। आगामी सात दिनों में यह व्यवस्था सुनिश्चित करें।
मेडिसन के स्टॉक का डिस्प्ले प्रतिदिन करने और अपडेट करने के निर्देश भी कलेक्टर ने दिये। उन्होने कहा कि हम अन्य विभागों की टीम से आपके स्टॉक का वेरीफिकेशन भी करायेंगे।
नसबंदी शिविरों में व्यवस्थायें दुरुस्त रहें, इसके लिये पृथक से शिविरों के लिये नोडल अधिकारी डीपीएम को बनाने के निर्देश भी मीटिंग में कलेक्टर ने दिये। उन्होने कहा कि डीपीएम की जिम्मेदारी होगी कि वे नसबंदी सहित अन्य शिविरों में बेहतर व्यवस्थायें करायें।
सभी प्रकार के टेंडर्स के लिये गठित समिति में वित्त सेवा के अधिकारी अनिल सोनी को समिति सदस्य के रुप में रखने के निर्देश भी कलेक्टर ने दिये। उन्होने कहा कि प्रत्येक माह अच्छा काम करने वाले डॉक्टर्स और स्टाफ को एप्रिसिएशन भी करें। इसके लिये बेस्ट एम्प्लॉई और बेस्ट डॉक्टर को माह में चयिनत कर उन्हें सम्मानित किया जाये।
इस दौरान मीटिंग में सीएमएचओ डॉ अशोक अवधिया, सिविल सर्जन डॉ एसके शर्मा, डॉ, केपी श्रीवास्तव सहित अन्य चिकित्सा अधिकारी भी मौजूद थे।
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