
सत्र समाप्त होने वाला है। इस संबंध में अधिकारियों से बातचीत की गई तो उन्होंने बताया कि अब आरटीई के तहत निजी स्कूलों को दी जाने वाली फीस बायोमेट्रिक्स प्रणाली के अनुसार दी जाएगी। जबकि आरटीई के तहत शिक्षा ग्रहण करने वाले छात्रों का चयन कर प्रशासन द्वारा शिक्षण कार्य के लिए आदेशित किया गया है। एसोसिएशन चाहता है कि सत्र समाप्ति के 9 महिने बाद भी वर्ष 2016-17 की फीस प्रतिपूर्ति न करने के लिए बायोमेट्रिक प्रणाली को बाधक बनाना उचित नही है। साथ ही बायोमेट्रिक प्रणाली के तहत दस्तावेजो का सत्यापन व सुधार की जिम्मेदारी निजी स्कूलों को न सौंपी जाए। क्योंकि आरटीई के तहत बच्चों के दस्तावेजो में पायी गई किसी भी प्रकार की त्रुटि के लिए शासन या पालकगण जिम्मेदार है निजी स्कूल संचालक नही। एसोसिएशन ने बताया कि आरटीई फीस भुगतान ना होने से स्कूल संचालकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है। ऐसे समय मे सीसीटीव्ही कैमरों को लगाने के लिए प्रशासन द्वारा 2 हफ्ते का समय दिया गया है जो कि यह अवधि काफी कम है। एसोसिएशन की मांग है कि इसके लिए उन्हें कुछ समय दिया जाना आवश्यक है जो लगभग 6 माह का हो। जिलापंचायत अध्यक्ष व शिक्षा समिति के अध्यक्ष अशोक कुमार विश्वकर्मा ने एसोसिएशन की मांग को शासन और प्रशासन तक पहुंचाने के लिए कहा है एवं जो भी संभव प्रयास है वे किए जाएंगे।
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