
अमरकंटक बायोस्फियर जोन नाशपाती फल के व्यापारिक उत्पादन के लिये अनुकूल है। जिले में पहले चरण में मेरठ (उत्तरप्रदेश) से 38 हजार पौधे और मजीठा नर्सरी (जबलपुर) से 18 हजार पौधे क्रय किये गए। शेष पौधे उद्यानिकी विभाग की नर्सरियों में तैयार करवाये गये। नाशपाती पौधरोपण के लिये वर्ष में दिसम्बर और जनवरी की जलवायु सबसे अधिक उपयुक्त होती है। इस वजह से 51 हजार नाशपाती पौधरोपण का कार्य शीघ्र शुरू किया गया। चयनित किसानों ने अपने खेतों में नाशपाती के पौधे लगाये हैं, उन्हें
उद्यानिकी विभाग की योजना के मुताबिक अनुदान राशि भी उपलब्ध करवायी गई है। चयनित किसानों को मनरेगा योजना में नाशपाती पौधरोपण, रख-रखाव और सिंचाई व्यवस्था के लिये 3 वर्ष में 3 लाख 62 हजार रुपये प्रति हेक्टेयर की दर से अनुदान उपलब्ध करवाया जा रहा है।
नाशपाती सेव की प्रजाति का फल है। अमरकंटक की जलवायु इसके उत्पादन के लिये बेहद अनुकूल है। जहाँ अन्य फलदार पौधे बड़े होने पर तेज ठंड के कारण नष्ट हो जाते हैं, वहीं नाशपाती के पौधे के जीवित रहने की दर इस वातावरण में सर्वाधिक होती है। नाशपाती पौध रोपने के 4 साल बाद इसमें फल आना शुरू हो जाते हैं। नाशपाती के प्रत्येक पेड़ में 50 से 60 किलो तक फल लगते हैं। नाशपाती फल की माँग मध्यप्रदेश के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और महाराष्ट्र में भी काफी है। अनूपपुर जिले की पुष्पराजगढ़ तहसील में कई किसान इसका व्यापारिक स्तर पर उत्पादन कर रहे हैं। जिला प्रशासन द्वारा नाशपाती फल की मार्केटिंग की योजना भी तैयार की गई है।
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