कटनी/- सुविख्यात समाजसेवी और गांधीवादी डॉक्टर एस एन सुब्बाराव जिला प्रशासन द्वारा संचालित निःशुल्क भारत निर्माण कोचिंग पहुंचे। उन्होने प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे विद्यार्थियों से संवाद किया और भारतीय संस्कृति की सुरक्षा, पर्यावरण की रक्षा और उसके संरक्षण व संवर्धन के प्रति प्रेरित किया। अपने उद्बोधन में बहुत सी प्रेरक बातें विमर्श के साथ उदाहरण सहित उपस्थित युवाओं के समक्ष डॉक्टर सुब्बाराव ने रखीं। देशहित के लिये सदैव तत्पर रहने की बात उन्होने की। डॉक्टर एस एन सुब्बाराव ने कहा कि युवाओं को सदैव देशहित में उठ खड़े होने की जरुरत है। वर्तमान परिदृश्य के कई उदाहरण भी उन्होने पेश किये। साथ ही अपने अनुभवों को विद्यार्थियों के साथ साझा किया।
उललेखनीय है कि डॉक्टर सुब्बाराव का जन्म 7 फरवरी 1929 को कर्नाटक के बेंगलूर शहर में हुआ था। उनके पूर्वज तमिलनाडु में सेलम से आए थे। इसलिए उनका पूरा नाम सेलम नानजुदैया सुब्बाराव है। सुब्बराव एक ऐसे गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने गांधीवाद को अपने जीवन में पूर्णता से अपनाया है। पर उनका सारा जीवन खास तौर पर नौजवानों को राष्ट्रीयता, भारतीय संस्कृति, सर्वधर्म समभाव और सामाजिक उत्तरदायित्वों की ओर जोड़ने में बीता है। वे सही मायने में एक मोटिवेटर हैं। उनकी आवाज में जादू है। शास्त्रीय संगीत में सिद्ध हैं। कई भाषाओं में प्रेरक गीत गाते हैं। उनकी चेहरे में एक आभा मंडल है। कहते हैं कि, जो एक बार मिलता है उनका हो जाता है। उन्हें कभी भूल नहीं पाता। कई पीढि़यों के लाखों लोगों ने उनसे प्रेरणा ली है।
सुब्बाराव जी का कोई स्थायी निवास नहीं है। सालों भर वे घूमते रहते हैं। देश के कोने कोने में राष्ट्रीय एकता व सांप्रदायिक सद्भावना के शिविर। उनके द्वारा स्थापित महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा, मुरैना (मप्र) में ही जय प्रकाश नारायण के समक्ष माधो सिंह, मोहर सिंह सहित कई सौ डाकुओं ने आत्मसमर्पण किया था। सुब्बराव जी का आश्रम इन डाकुओं के परिजनों को रोजगार देने के लिए कई दशक से खादी और ग्रामोद्योग से जुड़ी परियोजनाएं चला रहा है। चबंल घाटी के कई गांवों में सुब्बराव जी की ओर दर्जनों शिविर लगाए गए जिसमें देश भर युवाओं ने आकर काम किया और समाज सेवा की प्रेरणा ली।
उललेखनीय है कि डॉक्टर सुब्बाराव का जन्म 7 फरवरी 1929 को कर्नाटक के बेंगलूर शहर में हुआ था। उनके पूर्वज तमिलनाडु में सेलम से आए थे। इसलिए उनका पूरा नाम सेलम नानजुदैया सुब्बाराव है। सुब्बराव एक ऐसे गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं, जिन्होंने गांधीवाद को अपने जीवन में पूर्णता से अपनाया है। पर उनका सारा जीवन खास तौर पर नौजवानों को राष्ट्रीयता, भारतीय संस्कृति, सर्वधर्म समभाव और सामाजिक उत्तरदायित्वों की ओर जोड़ने में बीता है। वे सही मायने में एक मोटिवेटर हैं। उनकी आवाज में जादू है। शास्त्रीय संगीत में सिद्ध हैं। कई भाषाओं में प्रेरक गीत गाते हैं। उनकी चेहरे में एक आभा मंडल है। कहते हैं कि, जो एक बार मिलता है उनका हो जाता है। उन्हें कभी भूल नहीं पाता। कई पीढि़यों के लाखों लोगों ने उनसे प्रेरणा ली है।
सुब्बाराव जी का कोई स्थायी निवास नहीं है। सालों भर वे घूमते रहते हैं। देश के कोने कोने में राष्ट्रीय एकता व सांप्रदायिक सद्भावना के शिविर। उनके द्वारा स्थापित महात्मा गांधी सेवा आश्रम जौरा, मुरैना (मप्र) में ही जय प्रकाश नारायण के समक्ष माधो सिंह, मोहर सिंह सहित कई सौ डाकुओं ने आत्मसमर्पण किया था। सुब्बराव जी का आश्रम इन डाकुओं के परिजनों को रोजगार देने के लिए कई दशक से खादी और ग्रामोद्योग से जुड़ी परियोजनाएं चला रहा है। चबंल घाटी के कई गांवों में सुब्बराव जी की ओर दर्जनों शिविर लगाए गए जिसमें देश भर युवाओं ने आकर काम किया और समाज सेवा की प्रेरणा ली।
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