
आत्मा परियोजना द्वारा कृषि की आधुनिक तकनीक एवं पद्ध्तियो का लगातार प्रचार प्रसार किया जा रहा है। किसानो की दक्षता का विकास एवं कृषि को लाभ का धंधा बनाने का प्रयास कार्यक्रम की मूल अवधारणा है। इसी तारतम्य मेें कृषि के साथ किसानो द्वारा उपयोग किये जा रहे सिचाई जल में से जो जल अनुपयोगी हो जाता है उसी जल के सद्उपयोग के लिए दूसरी फसलो को जोडकर अजोला ईकाई का निर्माण व किसानो की अतिरिक्त आय बढोतरी, कटनी जिले की अनोखी पहल है।
अजोला ईकाई को लगभग 300-400 रूपये प्रति ईकाई के न्यूनतम खर्च पर बनाया जा सकता है। तथा बोर बैल या कूप के पास आसानी से कृषि उपयोग के दौरान टपकने वाले जल को 3' X 7' X 1' की हौदी में एकत्र किया जा सकता है। अजोला पौधो को रोपित कर एक सप्ताह में लगभग 3 से 5 किलो अजोला का उत्पादन किया जा सकता है। सप्ताह भर बाद हौदी की सफाई कर उपयोग किये हुये जल को फसलो में खाद के रूप में पुनः उपयोग में लाया जा सकता है तथा उसी हौदी मे पुनः नया जल भरकर इस ईकाई सेे लगातार अजोला प्राप्त किया जा सकता है। इससे किसानो को सप्ताह में लगभग 3 से 5 किलो अजोला प्राप्त होगा। लगभग 1 हजार लीटर खाद युक्त जल प्राप्त होगा। जो पशुओ के लिये उच्च स्तरीय प्रोटीन है तथा फसल के लिये यूरिया युक्त तरल खाद है। आजोला की बाजार में व्यापक पैमाने में माॅग है। इस गतिविधि से किसानो को पशुओ के लिये प्रोटीन, फसल के लिये खाद व जल का संरक्षण हो रहा है, वही किसानो की आय में बढोत्तरी के रूप में भी देखा जा सकता है।
अजोला एक प्रोटीन घटक है, जिसका उपयोग सैादर्य प्रसाधन, महिलाओ में प्रायः होने वाली बीमारियो के बचाव के साथ-साथ धान के खेत में जहा जल अधिक जमा होता है, वहा भी रोपित कर खरपतवार को रोका जा सकता है तथा अच्छी फसल प्राप्त कर अन्य विकल्प के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।
कार्यक्रम में परियोजना संचालक एन.डी. गुप्ता एवं उनकी टीम के लोग उपस्थित थे। साथ ही कटनी किसान अभिरूचि प्रोडूसर कम्पनी के सी.ई.ओ. प्रकाश दुबे, किसान मित्र हीरामणि हल्दकार, मन्जू लता, रोशनी, एवं ग्राम के अन्य कृषक महिला-पुरूषो की भूमिका सराहनीय रही।
अजोला उत्पादन के संबंध में अधिक जानकारी के लिए आत्मा परियोजना कार्यालय, कक्ष क्र0 33 कलेक्ट्रेट कटनी दूरभाष क्र0 07622-221986 पर संपर्क किया जा सकता है।
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