अप्रैल का महीना हमारे लिए त्याग, बलिदानों, कुर्बानियों का महीना है, मानवता, इंसानियत की खातिर इंसान कैसे एक हो जायें, मानव एकता दिवस 24 अप्रैल के उपलक्ष्य में रक्त दान कार्यक्रम रखा जायेगा ताकि इंसान का रक्त इंसान के काम आ जाये, संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में महात्मा विजय रोहरा जी ने विचार व्यक्त किए
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) जीवन में इस निरंकार प्रभु का एहसास होना यह गुरु की कृपा के बिना संभव नहीं, जितनी मर्जी हम जतन कर लें बस ये जो मन है इस निरंकार के हवाले हो जाए। किसी महात्मा की याद कराकर किसी महात्मा का संग कराकर यह फिर सत्संग में खींच लाता है। बाबा अवतार सिंह जी महाराज भी फरमाते हैं छोड़ के सारे भरम भुलेखे गुरु रिझाना भक्ति है। बाबा हरदेव सिंह जी महाराज से किसी ने पूछा, आप कैसे खुश होते हैं ? तब बाबाजी ने कहा, जब आप मिलकर रहते हो, एक दूसरे का आदर सत्कार करते हो, जब आपकी जरूरत होती है, वहाँ खड़े हो जाते हो संत के साथ, मैं खुश हो जाता हूँ। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में महात्मा विजय रोहरा जी ने उपस्थित साध संगत के समक्ष व्यक्त किए।
आगे उन्होंने कहा कि सतगुरु कहते हैं जो वस्तु मुझे भेंट करना चाहते हो वो जिन संत को जरूरत है उसको दे दो, वह वस्तु मुझ तक पहुंच आएगी। अप्रैल का महीना हमारे लिए त्याग का महीना है। बलिदानों का, कुर्बानियों का महीना है कि मानवता, इंसानियत की खातिर इंसान कैसे एक हो जायें, ये इंसान अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ले। मानव एकता दिवस 24 अप्रैल के उपलक्ष्य में रक्त दान कार्यक्रम रखा जायेगा ताकि इंसान का रक्त इंसान के काम आ जाये। विश्वास अधूरा है तो भक्ति भी अधूरी है भक्ति से ही आनंदित हुआ जा सकता है यही सुकून है। ज्ञान यदि हमारे साथ है तो हमारे जीवन को संभाल लेगा, हमारे कर्म को संभाल लेगा।
ज्ञान मिलने के बाद सच के साथ सच्चे पातशाह ने जोड़ा है। निरंकारी मिशन का शुरू से काम है सच की आवाज को जन जन तक पहुंचाना। बाबा गुरुवचन सिंह जी महाराज गाड़ी के नीचे गाड़ी को ठीक कर रहे थे जैक पर गाड़ी उठी हुई थी कपड़ों पर ग्रीस, मोबिल ऑइल लगा हुआ था तो एक सेवादार महात्मा आए और कहने लगे सचे पातशाह कोई आपसे मिलने आएं हैं आपके दर्शन दीदार करने हैं बड़े बिजी लोग हैं आप जल्दी आ जाएं। तो हुजूर ऐसे ही कपड़े भर झाड़ कर चल दिए। ऐसे ही हमारा भी समर्पण होना चाहिए तप त्याग होना चाहिए। सचे पातशाह ने सेवा सुमिरन सत्संग की दात हमारी झोली में डाली है। यह किसी के घट में बैठकर, किसी के हृदय में वास करके गुरसिख का कार्य संवार देता है।
सतगुरु माता सविंदर जी समझाते थे कि इलेक्ट्रिसिटी की एनर्जी होती है, एसी कूलर में हो तो ठंडी हवा गीजर में गरम करती है उस रूप में, कुछ उस रूप में पर यह हमेशा ध्यान रहे कि कैसी भी परस्थिति हो, कैसे भी हालात हो ध्यान यही रहे यह जो निरंकार है, यही मेरी ताकत है, जो यह परमातमा है, यही मेरा सहारा है इसको प्रेमा भक्ति कहते हैं, उनके जीवन में आनंद सुकून आ जाता है। मीरा भी कहती है कि पायो जी मैंने राम रतन धन पायो कि मैंने राम रतन धन पा लिया है इसलिए वो नाच रही है।
जिन्होंने इस सत्य को पा लिया था उनकी आत्मा नाच रही थी, मन भी नाच रहा था और नैनों में पावन्ता आ गई थी, विचार में पावन्ता आ गई थी। मीरा तो रविदास के यहां सब काम छोड़ कर नंगे पांव भागी भागी दौड़ी चली जाती थी, कहती थी आप जूते सिलने का काम करते हो, मैं आपको धागे बना बना के देती हूँ मुझे सत्संग सुनाओ, मुझे प्रवचन सुनाओ जिसको इसकी भूख होती है, वो सत्संग के बिना नही रह सकता। उसको तो ऐसे लगता है कि मेरा दिन ही अधूरा गया। जो इसके साथ जुड़ जाते हैं फिर उसे अलग से कुछ भी मानने की जरूरत नहीं होती, जीवन में ज्ञान रोम रोम रम जाता है। सतगुरु का एक एक वचन जो होता है मंत्र होता है मंत्र मूलम गुरु वाक्य, गुरु के मुख से निकला एक एक शब्द मंत्र है गुरसिख उसको धारण करे, उसके अनुसार जीवन जिए। इस अवसर पर बड़ी संख्या में साध संगत की उपस्थिति रही।
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