मेरा मान बचा लो .. मैं तुम्हारे शहर की शान हूं .. एक गौरवशाली धरोहर हूं .. मेरी जान बचा लो .. साधुराम स्कूल का आर्तनाद ! उन्ही के शब्दों में
कटनी ( प्रबल सृष्टि ) आज से सौ साल पहले जब कटनी नया नया विकसित हुआ था और अन्य शहरों से काम धंधे के लिए लोग आकर यहां बस रहे थे उन दिनों नगर के प्रतिष्ठित एवं प्रमुख व्यवसाई स्व.श्री साधुराम जायसवाल जी ने यहां के बच्चों की शिक्षा व्यवस्था के लिए मेरा निर्माण कराया था। साधुराम जी रेलवे में ठेकेदारी भी करते थे। उन्होंने मुड़वारा से उमरिया तक के रेल पथ पर अनेक पुल पुलिया बनवाई थीं। इसी तरह उन्होंने मुझे भी इतनी मजबूती से बनवाया था कि तीस चालीस साल से मेरी कोई देखरेख न होने एवं पहली मंजिल की छत के खपरे टूट जाने से प्रतिवर्ष वर्षा के पानी से तरबतर होते रहने के बाद भी में पूरी मजबूती से खड़ा हूं और कोई निर्माण होता तो कब का ढह जाता।
मैंने पिछली पीढ़ी के हजारों हजार बच्चों का भविष्य संवारा। उन्हे एक से एक बड़े प्रशासनिक पद पर पहुंचाया। यश, धन, ऐश्वर्य, सुख सुविधा से संपन्न बनाया। मेरी छांव में बैठकर पढ़े पी. एन. हक्सर जैसे छात्र आगे चलकर पूर्व प्रधानमंत्री स्व . श्रीमति इंदिरा गांधी के निजी सचिव बने, जिन्होंने भारतवर्ष की उन्नति और हित में उल्लेखनीय भूमिका निभाई । मेरा बेटा पी. एन. हक्सर आज नहीं है नहीं तो मुझे ये दुर्दिन नहीं देखने पड़ते । मुझे बड़ा दुख होता है जब देखता हूं मेरी छांव में बैठकर पढ़े और सफलता के शिखर पर पहुंचे बेटे भी मेरी दुर्दशा को अनदेखा कर मुंह फेर निकल जाते हैं । मेरी आत्मा रो रही है, खून के आंसू बहाती रहती है। मेरा मान बचा लो, मैं तुम्हारे शहर की शान हूं, एक गौरवशाली धरोहर हूं, मेरी जान बचा लो। क्या तुममें से दस बीस लोग भी खड़े होकर मेरी दशा में सुधार नहीं करा सकते, आओ मेरे बेटो ! मैं आज भी तुम्हे पूर्व जैसा प्यार करता हूं, मुझसे यूं मुंह न फेरो, मुझे बेमौत मरने से बचा लो, मैं प्राचीन किले, इमारतों जैसे सैकड़ों हजारों साल जीना चाहता हूं ।
लेखक - श्री राजेन्द्र सिंह ठाकुर
Comments
Post a Comment