हिन्दी पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर है, शासकीय कन्या महाविद्यालय में आयोजित हुआ राजभाषा हिंदी दिवस
कटनी (प्रबल सृष्टि) - शासकीय कन्या महाविद्यालय में हिंदी विभाग एवं भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वाधान में राजभाषा हिंदी दिवस शनिवार 14 सितंबर को मनाया गया। इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ चित्रा प्रभात ने सभी को बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी राजभाषा के अतिरिक्त हमारी मातृभाषा भी है। हिन्दी पूरे विश्व में बोली जाने वाली भाषाओं में तीसरे स्थान पर है। हम सभी को केवल 14 सितंबर को ही नहीं बल्कि प्रत्येक दिन हिंदी के महत्व को समझते हुए प्रयोग करना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि मैं आज लगभग 70 से 80 प्रतिशत हिंदी का प्रयोग करती हॅू।
हिंदी विभागाध्यक्ष डॉ विमला मिंज ने अपने उदबोधन में कहा कि हिंदी को संविधान सभा ने राजभाषा का दर्जा दिया। भारत में कुल 22 भाषाओं को मान्यता दी गयी है किन्तु इनमें से हिंदी को विशेष महत्व दिया गया है। हिंदी 10 प्रदेशों में प्रयोग की जाती है। अनुच्छेद 343 से 351 में हिंदी के प्रयोग करने एवं उसके प्रचार प्रसार के लिए संविधान में व्यवस्था की गई है। हिंदी प्राध्यापक डॉ किरण खरादी ने हिंदी के साहित्यिक योगदान पर प्रकाश डालते हुए कहा कि हिंदी साहित्य बहुत संपन्न है। हिंदी ने अनेक महाकवियों को जन्म दिया है जैसे सूर, तुलसी आदि। इस अवसर पर उन्होने ने सूर्यकांत त्रिपाठी की रचना वर दे वीणावादिनी को सस्वर पाठ करके सभी को मन मोह लिया । डॉ के जी सिंह ने कहा कि हिंदी का दो रूप है पहला भाषा दूसरा साहित्य। पहले रूप में हिंदी दुनिया की सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक भाषा मानी जाती है, तो दूसरे रूप में हिंदी का साहित्य लगभग 1000 वर्ष से निरंतर विकसित हो रहा है। इस अवसर पर गायत्री शक्ति पीठ परिवार से आये श्री महेन्द्र खरे एवं श्री खूबचंद गुप्ता ने भारतीय ज्ञान परंपरा में हिंदी साहित्य का योगदान विषय पर व्याख्यान दिया।साथ ही एनएसएस इकाई द्वारा स्वच्छता पखवाड़ा का शुभारंभ किया गया जिसमे 14 सितंबर से 2 अक्टूबर तक अनेक कार्यक्रम आयोजित होंगे।
महाविद्यालय में अध्ययनरत एम.ए. हिंदी की छात्राओं शिखा यादव, अंजली बर्मन, कविता बर्मन, कविता कुमारी बर्मन, शालिनी दाहिया और प्रियंका हल्दकार ने भी हिंदी के महत्व पर केन्द्रित विचार और कविताएं प्रस्तुत करके सभागार में सभी का ध्यान आकर्षित किया । कार्यक्रम का संचालन डॉ रीना मिश्रा ने किया। श्री भीम बर्मन एवं प्रेमलाल कॉवरे तकनीकी सहयोग दिया ।इस अवसर पर भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ की प्रभारी डॉ साधना जैन, डॉ रश्मि चतुर्वेदी, श्रीमती सुनीता श्रीवास्तव, श्री अमिताभ पाण्डेय, श्री के जे सिन्हा, श्रीमती बंदना मिश्रा, श्रीमती वीणा सिंह, श्रीमती नेहा चौधरी, डॉ अशोक शर्मा, डॉ संजय कांत भारद्वाज, आंजनेय तिवारी, डॉ फूलचंद कोरी के अतिरिक्त महाविद्यालय के समस्त स्टाफ एवं छात्राओं की मौजूदगी रही।
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