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Showing posts from August, 2025

भक्त यही भगवान के आगे करता है अरदास सदा, तुझ पर ही विश्वास टिका हो, रहे सदा एहसास तेरा, संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में बहन सोनिया नावानी जी ने विचार व्यक्त किए

कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) परमात्मा ही सत्य है, परमात्मा की प्राप्ति सतगुरु के द्वारा होती है। जब जिज्ञासु सतगुरु की शरण में गया और चरणों पर दंडवत प्रणाम करके उसने कहा, "हे मेरे सतगुरु! मैं तेरी शरण आया हूं, मेरा कल्याण करें।" तब सतगुरु ने ये ब्रह्मज्ञान रूपी दौलत उसकी झोली में डाल दी। सतगुरु माता जी ने भी हम सभी पर विश्वास किया, मौखिक पांच प्राण दिए। तो ये अमोलक दात हमारी झोली में आ गई। जब ब्रह्म ज्ञान मिला, जब निरंकार को देखा तो हूबहू वही निरंकार जिसका धार्मिक ग्रंथों में ज़िक्र है। श्रीमद्भागवत गीता में आता है ना, कि इसे शस्त्र काट नहीं सकता, इसे पानी भीगो नहीं सकता, इसे आग जला नहीं सकती, इसे हवा उड़ा नहीं सकती। ये नापा नहीं जा सकता, इसका ओर है न छोर। जो परमात्मा की निशानियां बताई गईं, वही परमात्मा सतगुरु ने हमें अंग-संग दिखला दिया। निरंकार को देखकर जब इस पर विश्वास हो गया, तो निरंकार को दिखाने वाले सतगुरु पर भी विश्वास टिक गया। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग कार्यक्रम में पवित्र हरदेव वाणी के शब्द पर बहन सोनिया नावानी जी ने व्यक्त किए। आदरणी...

ज्ञान मन में टिकते ही सारे भरम भूलेखे दूर हो जाते हैं, जैसे दिया जलते ही अंधेरा चला गया, संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में महात्मा अविनाश राजपाल जी ने विचार व्यक्त किए

कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) यह लम्हा, यह जीवन में जो घड़ी आई है, यह कोई मामूली घड़ी नहीं है, क्योंकि जहां भी महापुरुष संत जन एक साथ बैठ के जब हरि की चर्चा करते हैं, तो उसकी अपनी ही बात होती है कि जिसको बयान नहीं किया जा सकता, शुक्राना सतगुरु का है कि हमें यह घड़ी दी है। निरंकार है कर्ता जगत का, सारा संसार जो रचा हुआ है इसमें यह पेड़-पौधे, यह मानव की रचना, जंतुओ की रचना, यह जब स्वयं करके निरंकार इसी के बीच में छिप गया है और इस निरंकार को जानने का तरीका सतगुरु है और सतगुरु की पहचान तो हमने कर ली है और अब सतगुरु ने जो हमें निरंकार का दीदार कराया, वह भी बहुत बड़ी बात है और इस ज्ञान की समझ की कदर कर पाए और जिस तरह से ये निरंकार हमारे जीवन में जरूरी है, वह पैगाम, वह संदेश हम अपने आस-पड़ोस, अपने परिवार जनों तक भी पहुंचा सके क्योंकि अगर यह जो जन्म मिला है, यह जन्म अगर छूट गया, तो फिर वही जन्म हमारे हिस्से आ जाएगा कि जब हम देखते हैं, कहीं सड़क पे कोई जानवर गिरा हुआ है, कई ऐसे कीड़े-मकोड़े जो हमारे पैरों के नीचे आ जाते हैं तो, यह स्थिति देखी जाए कि मेरी ही स्थिति होती अगर मैंने इस परमात्मा की प्राप्...

सतगुरु वो ज्ञान का सागर है, जिसमें जो संत डुबकी लगाता है वो मोती चुन के लाता है, संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में 15 अगस्त को आयोजित मुक्ति पर्व में नैनपुर से पधारीं बहन सुनीता महलवंशी जी ने विचार व्यक्त किए

कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) साधसंगत जी,  परमात्मा माता है, पिता है, बंधु है, सखा है, इसके आगे अरदास करें, प्रार्थना करें, मेरे मालिक, भक्ति और संतों का संग और सत्संग सदा देते रहना, यही अरदास है, यही प्रार्थना। अभी हम सब मिल के, संत निरंकारी मिशन द्वारा 15 अगस्त को मुक्ति पर्व के रूप में यह दिन आयोजित किया जाता है। यह आयोजन युग पुरुष बाबा अवतार सिंह जी महाराज, जगतमाता बुद्धवंती जी, ममतामयी राजमाता जी, युग निर्माता माता सविंदर हरदेव जी की दिव्यता, विनम्रता इनको याद किया जाता है। उनके साथ-साथ उन सभी सत्य के लिए समर्पित संत महात्मा, उनका तप त्याग वो भी याद किया जाता है। यह पर्व ऐसा है कि इसमें पुराने संत महात्माओं को भी याद किया जाता है जिन्होंने तप, त्याग, तपस्या, साहस, बलिदान, संघर्ष, अपना जो कुछ भी दिया है, ये मिशन को दिया है। ऐसे पुरातन संत महात्माओं को भी याद किया जाता है। हम बड़े भाग्यशाली हैं, वो पुरातन संत महात्माओं ने तो इतना कष्ट सहा है उन्हें प्यार नहीं मिलता था फिर भी वो सत्य के प्रचार के लिए दौड़े-दौड़े जाते थे। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में शुक्रवार 15 अगस्त को...