कटनी। (मुरली पृथ्यानी) भाजपा को 2014 लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व जीत हासिल हुई। जीत से पहले देश की जनता से बड़े बड़े वादे किये गए कि हमारी सरकार बनी तो अच्छे दिन आएंगे। जिस तरह से टीवी पर विज्ञापन दिखाये जा रहे थे, इससे लोगों भी लग रहा था कि उनके सचमुच में अच्छे दिन आयेंगे। सरकार बनने के बाद लोगों को इस सरकार से कई अपेक्षाएं थी। लेकिन आज 2018 में जनता की अपेक्षाएं वहीं की वहीं रह गईं। देश की जनता को उस समय सबसे बड़ा झटका लगा जब एकएक नोटबन्दी की घोषणा कर दी गई, खुद भाजपा विपक्ष में रहते नोटबन्दी के खिलाफ बोलती आई थी। इस फैसले को कालाधन खत्म करने का कदम बताया गया, लेकिन कुछ नही हुआ। इसके ठीक बाद जीएसटी लागू करने की जल्दबाजी की गई नतीजा छोटे स्तर पर व्यापारी परेशान हो गए और आज भी व्यापारी खुद को परेशान बताते है। इसके अलावा भी कई ऐसी वजहें है जिससे भाजपा को नुकसान हुआ है भले ही वह इसे समझ नही पा रही हो। आज ही कुछ जगह से उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए बेहद खराब रहे, जेडीयू को कहना पड़ा कि एनडीए के सहयोगी दल खुद को अलग थलग महसूस कर रहें है। इन चार सालों में भाजपा अगर चाहती तो खुद को आम जनता के साथ खड़ा दिखाती तो 2019 उसके लिए बाएं हाथ का खेल भर रह जाता लेकिन अब 2019 की लड़ाई आसान नही है। अब ऐसा लगता नही कि उसके पुराने सहयोगी उसके साथ खड़े होंगे। फिर भी भाजपा के पास समय है, उसे निम्न, मध्यम वर्ग की आम जनता को लगातार राहत देनी चाहिए, खुद को सभी वर्गों की पार्टी साबित करना होगा। दूरगामी चिंता छोड़ वर्तमान के हालातों पर काबू पाना होगा नहीं तो कई प्रदेशों के साथ केंद्र में भी नुकसान ही होगा।
कटनी। (मुरली पृथ्यानी) भाजपा को 2014 लोकसभा चुनाव में अभूतपूर्व जीत हासिल हुई। जीत से पहले देश की जनता से बड़े बड़े वादे किये गए कि हमारी सरकार बनी तो अच्छे दिन आएंगे। जिस तरह से टीवी पर विज्ञापन दिखाये जा रहे थे, इससे लोगों भी लग रहा था कि उनके सचमुच में अच्छे दिन आयेंगे। सरकार बनने के बाद लोगों को इस सरकार से कई अपेक्षाएं थी। लेकिन आज 2018 में जनता की अपेक्षाएं वहीं की वहीं रह गईं। देश की जनता को उस समय सबसे बड़ा झटका लगा जब एकएक नोटबन्दी की घोषणा कर दी गई, खुद भाजपा विपक्ष में रहते नोटबन्दी के खिलाफ बोलती आई थी। इस फैसले को कालाधन खत्म करने का कदम बताया गया, लेकिन कुछ नही हुआ। इसके ठीक बाद जीएसटी लागू करने की जल्दबाजी की गई नतीजा छोटे स्तर पर व्यापारी परेशान हो गए और आज भी व्यापारी खुद को परेशान बताते है। इसके अलावा भी कई ऐसी वजहें है जिससे भाजपा को नुकसान हुआ है भले ही वह इसे समझ नही पा रही हो। आज ही कुछ जगह से उपचुनाव के नतीजे भाजपा के लिए बेहद खराब रहे, जेडीयू को कहना पड़ा कि एनडीए के सहयोगी दल खुद को अलग थलग महसूस कर रहें है। इन चार सालों में भाजपा अगर चाहती तो खुद को आम जनता के साथ खड़ा दिखाती तो 2019 उसके लिए बाएं हाथ का खेल भर रह जाता लेकिन अब 2019 की लड़ाई आसान नही है। अब ऐसा लगता नही कि उसके पुराने सहयोगी उसके साथ खड़े होंगे। फिर भी भाजपा के पास समय है, उसे निम्न, मध्यम वर्ग की आम जनता को लगातार राहत देनी चाहिए, खुद को सभी वर्गों की पार्टी साबित करना होगा। दूरगामी चिंता छोड़ वर्तमान के हालातों पर काबू पाना होगा नहीं तो कई प्रदेशों के साथ केंद्र में भी नुकसान ही होगा।
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