कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) साध संगत, सब के चेहरों पर खुशियां हैं, होठों पर मुस्कान है और अवसर है बड़ी नजदीकी से निरंकारी राजपिता जी को निहारने का उनके आशीर्वाद को प्राप्त करने का, अवसर है उनके पावन चरणों में नमस्कार करने का। महात्माओं से सुना भी है लेकिन अगर हम केवल सुन लेते हैं काम चलने वाला नहीं, सुनना है तो बुनना भी है और बुनना है तो गुनना भी है, हम सब विद्यार्थी रहे हैं स्कूल - कॉलेज में हमारे टीचर्स ने क्या पढ़ाया हमने नोट्स बनाए याद किया और याद इसलिए किया क्योंकि साल में एग्जाम है और उस एग्जाम में मिलने वाले मार्क्स बता देते हैं कि आपने कितनी मेहनत की, कितना टीचर ने पढ़ाया, आपने कितना पढ़ा कितना लिखा। वो साल में एग्जाम होता है लेकिन हम इस संसार में विचरण कर रहे हैं यहां रोज एग्जाम होती है, रोज परीक्षा होती है, कभी मेरे धैर्य की परीक्षा होती है, कभी मेरे सब्र की परीक्षा होती है, कभी मेरी सहनशीलता की परीक्षा होती है, कभी मेरी विनम्रता की परीक्षा होती है। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग कार्यक्रम में नागौद से पधारे महात्मा अनूप सुंदरानी जी ने उपस्थित सा...
गुरसिख का जीवन माया से होशियार रहता है, हर पल चेतन अवस्था में गुरु की शिक्षाओं को अपनाते हुए जीवन जीता है, संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार के सत्संग में बहन प्रेरणा रोहरा जी ने विचार व्यक्त किए
कटनी ( मुरली पृथ्यानी ) सतगुरु की असीम कृपा से यह शुभ घड़ी यह शुभ वेला गुरसिख के हिस्से में आती है तो वह गुरसिख अपने जीवन को और सजाता है और संवारता है, यह संगत की घड़ियां गुरसिख के जीवन में वह उजाला वह रोशनी लाती है जिससे वह अपने जीवन में और निखार लाता है। आज बहुत बहनों ने भाईयों ने विचार द्वारा गीत द्वारा अपने भाव रखे, वह भाव उस रूप में उन्होंने अपने जीवन में पा करके फिर इसका बखान किया है यह सिर्फ शब्द बोल तक सिर्फ सीमित नहीं थे वह उनके जीवन का बखान था कि किस प्रकार यह ज्ञान उजाला ले करके उनके जीवन में वह रोशनी आई है वह आनंद मिला है। अवतार वाणी की वह लाइनें भी इशारा कर रहीं है कि जिसके अंदर हर हर वस्या हर रंग विचे एक रंग रहे। इस जीवन में रहते हुए माया में किस तरह विचरते हुए भी गुरसिख का जीवन एक रंग में रंगा हुआ, गुरु के रंग में रंगा हुआ जब यह ज्ञान उजाला जीवन में मिल जाता है यह ज्ञान जीवन में उतर जाता है तो वह अवस्था बनती है गुरसिख की, जिस प्रकार एक कमल का फूल होता है, रहता तो कीचड़ में है फिर भी वह उससे न्यारा सुन्दर होता है। उक्त विचार संत निरंकारी सत्संग भवन माधवनगर में रविवार ...